स्कूल -कॉलेज के सुनहरे दिन
स्कूल कॉलेज के सुनहरे दिन
(भाग-5)
छात्रों के ज्वलंत प्रश्न ( ब्रम्हांड का सृजन )
अध्यापिका के कक्षा में आते ही सभी छात्रों ने अभिवादन किया l
बैठने का इशारा करते हुए अध्यापिका अवलोकन करने लगी। सभी बच्चों के चेहरों पर एक अनोखी चमक और सुनने की उत्सुकता साफ़ झलक रही थी ।
हाँ तो मैं आपको बता रही थी कि किस प्रकार शून्य से ब्रम्हांड बना, वो शून्य या निर्वात में जब कुछ नहीं था तब भी कुछ था वो थे शिव, जिन्हें शून्य, तम या डार्क एनर्जी भी कहते हैं। इसी से अल्फा बीटा गामा किरणों के समन्वय से सहस्त्रों सूर्यों का निर्माण हुआ l वो जो निराकार डार्क एनर्जी थी उसी से प्रकाश का निर्माण हुआ।
इस निराकार प्रकाश रूप ईश्वर द्वारा ब्रम्हांड में ग्रह नक्षत्र बनेl परन्तु अब भी वो परम शक्ति संतुष्ट नहीं थी क्योंकि कोई हलचल, ध्वनि, रंग कुछ नहीं था। तब सूर्य की किरणों और गैसों के मिश्रण से जल का निर्माण हुआ l जल पर जब सूर्य की किरणों का गैसीय प्रभाव पड़ा तो रंग बने l
शिव यानी ब्रम्हांड की प्रथम ऊर्जा जो बहुत अधिक इंटेलिजेंट थी और अपने आनंद हेतु नित नवीन निर्माण कर रही थी वो अपने सुन्दर निर्माणों से परम आनंदित थी। परन्तु वो कुछ ऐसा करना चाहती थी जो सजीव हो साकार होl चूंकि वह निराकार थी वो साकार को कैसे जन्म दे सकती थी??
इसके लिए पंच तत्वों का निर्माण हुआ l
पंच तत्व मतलब?? एक बच्चे ने पूछा l
पंच तत्व यानी - अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी
जैसे कि मैंने बताया - जल और आकाश. का निर्माण हो चुका था। गैसों के कारण जल की प्रतिछाया से आकाश का रंग हल्का नीला था। निराकार परमात्मा शिव ने सूर्य की किरणो से जैसे रंग बनाए थे वैसे ही सूर्य की ृतेज ऊर्जा से अग्नि का निर्माण किया l धूप बनीl आकाशीय प्रक्रियाओं में नक्षत्रों की रचना में चन्द्रमा भी बनाl
दिन रात घटित होने लगे।
गैसों के जल, आकाश के टकराने से वायु बनीl जो धूप से टकराती तो गर्म हो जाती l जल से टकराती तो शीतलl
अब बहुत काल तक इन वायु, गैसों और जल के अग्नि द्वारा सूखने से जगह-जगह कुछ मिट्टी जैसे तत्व बनने लगे l जब इनके बड़े बड़े पिंड बने तो वो धरती यानी मिट्टी के द्वीप बने l
इस प्रकार तत्वों के मेल से पृथ्वी बनीl
निराकार परमात्मा अब भी तृप्त नहीं था। वो कुछ बहुत ही अद्भुत बनाना चाहता था । साकार रचना का सृजन करना चाहता था । परन्तु इसके लिए उसके पास अब भी कुछ तत्व कम थे।
अब तक की उसकी प्रत्येक क्रियान्विती में भी उसने सूर्य की ऊर्जा का बहुत उपयोग किया था। अत: अब तक वह समझ गया था कि सूर्य की शक्ति ब्रम्हांड की रचना, नक्षत्रों की रचना, रंगों की रचना, पंच तत्वों की रचना की ही तरह सृष्टि की रचना में भी उसकी सहायक होगी। अब यदि हम निराकार ईश्वर परमात्मा को एक नाम दे रहे हैं "शिव" तो सूर्य की इस ऊर्जा को नाम देते हैं "शक्ति" l शिव का अर्थ ही है निराकार ब्रह्म परमात्मा, वह जो है पर नहीं है। शक्ति यानि ऊर्जा एनर्जी l
अब आप समझ गए होंगे कि शिव और शक्ति से ही संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना हुई l
हाँ पर ये दोनों तो निराकार ही हैं । 33 कोटि देवताओं के बारे में तो बताओ??
सब्र रखो ।
क्रमशः बताऊंगी तभी सही तरीके से समझ पाओगे।
तभी बेल बज गई। सारे बच्चे एक साथ चिल्लाए - ओSssss
अध्यापिका मुस्कुराई - अब आगे कल
अपर्णा "गौरी"
Shashank मणि Yadava 'सनम'
11-Feb-2023 06:49 AM
बहुत ही सुंदर और संदेश देता हुआ लेख
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डॉ. रामबली मिश्र
05-Feb-2023 09:33 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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अपर्णा " गौरी "
10-Feb-2023 11:32 PM
बहुत धन्यवाद
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Varsha_Upadhyay
05-Feb-2023 06:41 PM
Nice 👍🏼
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अपर्णा " गौरी "
10-Feb-2023 11:32 PM
Thanks
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